- विशेषज्ञों ने बताया कि आयुष प्रणालियों का समग्र दृष्टिकोण भारत को वैलनेस और चिकित्सा के क्षेत्र में वैश्विक मार्गदर्शक बना सकता है
- परंपरागत आयुष ज्ञान और मेडिसिन को टेस्टिंग प्रक्रिया के अंतर्गत लाने की आवश्यकता बताई
- उत्तराखंड आयुष नीति- 2023 के बेहतर इंप्लीमेंटेशन के संबंध में भी की गई चर्चा
देहरादून : परेड ग्राउंड देहरादून में 10 वें वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो में आज तीसरे दिन विभिन्न प्लेनरी सेशन में देश-विदेश के आयुष विशेषज्ञों ने आयुष के क्षेत्र में खोजी गई नवीन तकनीक और मेडिसिन के बारे में चर्चा- परिचर्चा की गई और प्रस्तुतिकरण दिया गया। नेत्र चिकित्सा के संबंध में एक नवीन खोज नेत्र तर्पण दृष्टि यंत्र का प्रस्तुतीकरण दिया गया। इस यंत्र में औषधिय तेल के माध्यम से आंखों की चिकित्सा की जाती है।
निर्दोष नामक कंपनी ने औषधिय धूमपान उपचार प्रक्रिया का प्रस्तुतीकरण दिया। इसमें तुलसी, नीम, हल्दी और अजवाइन के समावेश से धूमपान वर्तिका बनती है जो लोगों के बीच में उत्सुकता का केंद्र रही। चर्म रोगों में अत्यंत लाभदायक औषधि दारूहरिद्रा (बर्बेरिन) का प्रस्तुतीकरण दिया गया। पिंडरहॉल में आयुर्वेद के माध्यम से पशु चिकित्सा से संबंधित प्रस्तुतिकरण दिया गया। जिसमें पशुओं में होने वाले चर्म रोगों एवं दूध से होने वाले विकारों में प्रयुक्त होने वाली औषधियां एवं उनके दूध उत्पादक औषधीय पर विचार किया गया।
मकड़ी के दंश से होने वाले रोगों पर चर्चा की गई एवं उसके उपचार पर विचार किया गया। जिसमें डॉ. स्मिता को बेस्ट पेपर अवार्ड प्रदान किया गया है। इस दौरान उत्तराखंड आयुष नीति- 2023 के प्रावधानों की भी जानकारी साझा की गई तथा इस आयुष नीति के बेहतर और त्वरित इंप्लीमेंटेशन के संबंध में बहुमूल्य सुझाव भी साझा किए गए।
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